मुख़्तलिफ़ चमड़ी हो पैरहन के लिए
इक शिकारी छुपा है हिरन के लिए
आपने डिग्रियाँ ले तो ली हैं मगर
ज़ख़्म भी चाहिए था सुख़न के लिए
इसलिए मैं अभी मर भी सकता नहीं
घर में पैसे नहीं हैं कफ़न के लिए
क्या अजब दोग़ुला है कि दिल माँगकर
फिर बदन ढूँढ़ता है बदन के लिए
मुझको छूते ही रस्ता बदल लेती है
जैसे ख़ारिज जगह हूँ किरन के लिए
महँगे तोहफ़ों ने ले ली जगह फूल की
कोई ख़तरा नहीं अब चमन के लिए
गर लुग़त में न हो लफ्ज़-ए-हिज्र-ओ-विसाल
कितने शाइर बचेंगे सुख़न के लिए ?
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