समंदर रेत जंगल सब वहाँ है
तिरी ज़ुल्फ़ों के साए में जहाँ है
जो तेरे हुस्न का है ये उजाला
चराग़ों में सितारों में कहाँ है
तू आए महफ़िलों में नूर आए
कोई भी तो नहीं तुझसा यहाँ है
मैं उसको लाख दुश्मन यार कह दूँ
मगर वो ही मेरा अब हम रहाँ है
तेरी ऑंखों से गहरा कुछ नहीं है
कि हम तो देख आए दो जहाँ है
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