समंदर रेत जंगल सब वहाँ है - Amit Gautam

समंदर रेत जंगल सब वहाँ है
तिरी ज़ुल्फ़ों के साए में जहाँ है

जो तेरे हुस्न का है ये उजाला
चराग़ों में सितारों में कहाँ है

तू आए महफ़िलों में नूर आए
कोई भी तो नहीं तुझसा यहाँ है

मैं उसको लाख दुश्मन यार कह दूँ
मगर वो ही मेरा अब हम रहाँ है

तेरी ऑंखों से गहरा कुछ नहीं है
कि हम तो देख आए दो जहाँ है

- Amit Gautam
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