तुम्हें बस ये बताना चाहता हूँ
मैं तुम से क्या छुपाना चाहता हूँ
कभी मुझ से भी कोई झूठ बोलो
मैं हाँ में हाँ मिलाना चाहता हूँ
ये जो खिड़की है नक़्शे में तुम्हारे
यहाँ मैं दर बनाना चाहता हूँ
अदाकारी बहुत दुख दे रही है
मैं सच-मुच मुस्कुराना चाहता हूँ
परों में तीर है पंजों में तिनके
मैं ये चिड़िया उड़ाना चाहता हूँ
लिए बैठा हूँ घुंघरू फूल मोती
तिरा हँसना बनाना चाहता हूँ
अमीरी 'इश्क़ की तुम को मुबारक
मैं बस खाना-कमाना चाहता हूँ
मैं सारे शहर की बैसाखियों को
तिरे दर पर नचाना चाहता हूँ
मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा
मैं तुमको याद आना चाहता हूँ
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