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ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है  - Hafeez Jalandhari

ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है
बात होती है मगर बात नहीं होती है

बारयाबी का बुरा हो कि अब उन के दर पर
अगले वक़्तों की मुदारात नहीं होती है

ग़म तो घनघोर घटाओं की तरह उठते हैं
ज़ब्त का दश्त है बरसात नहीं होती है

ये मिरा तजरबा है हुस्न कोई चाल चले
बाज़ी-ए-इश्क़ कभी मात नहीं होती है

वस्ल है नाम हम-आहंगी ओ यक-रंगी का
वस्ल में कोई बुरी बात नहीं होती है

हिज्र तंहाई है सूरज है सवा नेज़े पर
दिन ही रहता है यहाँ रात नहीं होती है

ज़ब्त-ए-गिर्या कभी करता हूँ तो फ़रमाते हैं
आज क्या बात है बरसात नहीं होती है

मुझे अल्लाह की क़सम शेर में तहसीन-ए-बुताँ
मैं जो करता हूँ मेरी ज़ात नहीं होती है

फ़िक्र-ए-तख़्लीक़-ए-सुख़न मसनद-ए-राहत पे हफ़ीज़
बाइस-ए-कश्फ़-ओ-करामात नहीं होती है

- Hafeez Jalandhari

Mulaqat Shayari

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