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ठोकरों में असर नहीं आया  - Ismail Raaz

ठोकरों में असर नहीं आया
दिल अभी राह पर नहीं आया

ख़ुद में देखा जो झाँक कर तिरे बाद
मुझ को मैं भी नज़र नहीं आया

मुद्दतों से सुकूत चीख़ता है
लेकिन अब तक असर नहीं आया

चाँद किस तमकनत से निकलेगा
तू अगर बाम पर नहीं आया

कब से घर छोड़ कर गया हुआ हूँ
कब से मैं लौट कर नहीं आया

- Ismail Raaz

Chaand Shayari

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