न मजनूॅं न फ़रहाद कुछ भी नहीं मैं
फ़क़त इश्क़ हूँ तर्जुमानी नहीं मैं
नहीं दे रहा ज़ाइक़ा कोई क़िस्सा
कहा था तुझे दास्तानी नहीं मैं
मुसलसल मसाइल ने ज़िंदा रखा है
उन्हें वहम ये है कि फ़ानी नहीं मैं
नहीं चाहिए पैरवी अब किसीकी
हुनर आतिशीं है नियाज़ी नहीं मैं
मिरा दीन से वास्ता क्या बताऊँ
ग़ुलाम-ए-अदब हूँ कि बाग़ी नहीं मैं
ख़ुदाया मुझे मत बताओ मुनव्वर
ख़ुद अपने तख़ल्लुस का सानी नहीं मैं
उठाए गिने बिन मिरे नाज़-ओ-ग़म्ज़ा
तुम्हें वहम है ये कि गिरवी नहीं मैं
करी हैं दुआएँ दुआओं के सदक़े
क़फ़स आप ही हूँ ख़ुमारी नहीं मैं
यहाँ नुक़्स तेरी लुग़त में है कामिल
ना-मालूम हूँ बे-मआनी नहीं मैं
समझ फेर है बैर थोड़ी है माही
जुदा हूँ अमल में अनाड़ी नहीं मैं
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