हम ख़ूब मुस्कुराते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
ख़ुशियों के गीत गाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
दुश्मन हो दोस्त हो या हो कोई अजनबी ही
सबको गले लगाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
मुश्किल है अपनी परछाई पीछे छोड़ पाना
दिन भर तुम्हें भुलाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
वो जंग हार जाता है होके ख़ुश, वफ़ा की
हम उससे जीत जाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
दिल चाहता नहीं है वो नाम लेने का अब
सो बेवफ़ा बुलाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
हम वो हैं जिसके सपने हर कोई देखता है
हम तारे जगमगाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
या हम जुदा हैं सबसे या ग़म जुदा है अपना
हम भी धुआँ उड़ाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
उसकी वजह से जितना रोए हैं हम, कसम से
उतना उसे रुलाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
उसने हमें धकेला है मौत की गली में
सो मौत को बुलाते हैं फिर भी ख़ुश नहीं हैं
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