नदी में दोस्त सब मिलके नहाना छोड़ आए हैं
नहाते तैरते पानी उड़ाना छोड़ आए हैं
दिल-ओ-दिल रंज जब होता नहीं तब गुनगुनाते सब
सफ़र नग़्मों भरा यारों तराना छोड़ आए हैं
ख़फ़ा होना जुदा होना सभी अब याद आता हैं
जो रूठे थे उन्हें दिल से मनाना छोड़ आए हैं
मुसलसल इक नदी पश्चिम दिशा की ओर बहती है
वहांँ पर दोस्तों क़िस्सा पुराना छोड़ आए हैं
कई लहरें धड़कती हैं पुराने गाह पर वैसे
मुहब्बत के लिए सारा ज़माना छोड़ आए हैं
यहाँ कुछ कर गुज़रने के उसी इक आरज़ू में फिर
उन्हें हर बार मिलने का बहाना छोड़ आए हैं
यहाँ फिर घर बसाने की उसी चाहत तमन्ना में
रफ़ीक़ों संग फिर हँसना हँसाना छोड़ आए हैं
अधूरे ख़्वाब जो पूरे न कर पाए कभी जैसे
नदी में दोस्तों कश्ती चलाना छोड़ आए हैं
हमें फिर गाँव का सब कुछ बहुत ही याद आता हैं
खुले में खेलना मिलके नहाना छोड़ आए हैं
"मनोहर" मत बताना अब वहाँ क्या छोड़ आए हैं
बताऍं क्या बताऍं हम ज़माना छोड़ आए हैं
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