ये दिल फिर प्यार से सरशार होगा
तुम्हारा जब कभी दीदार होगा
मुहब्बत पे फ़ना दिलदार होगा
लबों पर भी हसीं इक़रार होगा
दिलों में ख़ौफ़ है जिसका सभी के
गुज़रता शहर का मुख़्तार होगा
मिटा दे जो तेरी यादों को दिल से
कहाँ ऐसा कोई ग़मख़्वार होगा
हवस लोगों के दिल से जब मिटेगी
न कोई जिस्म का बाज़ार होगा
बिना तेरे मेरी जान-ए-ग़ज़ल अब
निभाना साँसों से दुश्वार होगा
रईसों के मोहल्ले में है भूखा
यक़ीनन वो कोई ख़ुद्दार होगा
न जाओ हाथ अब मीना छुड़ाकर
बिना तेरे बहुत अज़रार होगा
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