क़तरा क़तरा आँखों से यूँ बहता आँसू
बहते बहते बन जाएगा दरिया आँसू
इससे ज़ियादा और भयानक क्या होगा
भूखा बच्चा पीता है बस अपना आँसू
आज नहीं तो कल तुझसे भी निकलेगा
तूने गर मेरी आँखों में बोया आँसू
तब उसकी हर बात को सच माना मैंने
आँख में उसकी देखा जब ठहरा आँसू
ओ नादाँ इसमे आया तो डूबेगा
मेरी आँख से टपका है उसका आँसू
हिज्र की अच्छाई गिनवाने लगता है
वस्ल से हो जाता है जब रुस्वा आँसू
मैं पागल क्यों बे-हिस दुनिया की ख़ातिर
हर दिन करता रहता हूँ ज़ाया आँसू
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