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क़तरा क़तरा आँखों से यूँ बहता आँसू - Nilesh Barai

क़तरा क़तरा आँखों से यूँ बहता आँसू
बहते बहते बन जाएगा दरिया आँसू

इससे ज़ियादा और भयानक क्या होगा
भूखा बच्चा पीता है बस अपना आँसू

आज नहीं तो कल तुझसे भी निकलेगा
तूने गर मेरी आँखों में बोया आँसू

तब उसकी हर बात को सच माना मैंने
आँख में उसकी देखा जब ठहरा आँसू

ओ नादाँ इसमे आया तो डूबेगा
मेरी आँख से टपका है उसका आँसू

हिज्र की अच्छाई गिनवाने लगता है
वस्ल से हो जाता है जब रुस्वा आँसू

मैं पागल क्यों बे-हिस दुनिया की ख़ातिर
हर दिन करता रहता हूँ ज़ाया आँसू

- Nilesh Barai

Dariya Shayari

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