0

मारा है ग़म ने इस क़दर - NISHKARSH AGGARWAL

मारा है ग़म ने इस क़दर
रोए खुशी ये देख कर

दिल धड़के है जोरों से क्यूँ
जब देखें वो यूं इक नज़र

ढूढों किधर वो है गया
आँगन में था जो इक शजर

देखा तो इन आँखों ने था
फिर क्यूँ हुआ दिल पे असर?

सब कुछ गुज़र जाता है तो
माज़ी मिरे तू भी गुज़र

खोया रहा मैं इस कदर
ढूंढें मुझे मेरा ही घर

मंजिल सभी की मौत है
है जिंदगी बस इक सफ़र

- NISHKARSH AGGARWAL

Gham Shayari

Our suggestion based on your choice

More by NISHKARSH AGGARWAL

As you were reading Shayari by NISHKARSH AGGARWAL

Similar Writers

our suggestion based on NISHKARSH AGGARWAL

Similar Moods

As you were reading Gham Shayari