तुझे अब मैं भुलाना चाहता हूँ

  - Harpreet Kaur

तुझे अब मैं भुलाना चाहता हूँ
ख़ुदी से दूर जाना चाहता हूँ

मुहब्बत के नहीं क़ाबिल ये दुनिया
कि शहर-ए- दिल बसाना चाहता हूँ

हक़ीक़त को समझ कर क्या है करना
नफ़स ख़ातिर फ़साना चाहता हूँ

लगा हूँ थकने आँसू यूँ बहाते
जी भर हँसना हँसाना चाहता हूँ

ज़माना रहता रूठा प्रीत से जो
फ़क़त ख़ुद को मनाना चाहता हूँ

  - Harpreet Kaur

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