फूल थम से गए गिरना शजर से
गाँव तुम लौट आए जब शहर से
दिल में ख़्वाहिश है तेरा चेहरा देखूँ
आँख हटती नहीं लेकिन नज़र से
जाँ तिरे होठों को चूमने वाले
मर न जाए किसी रोज़ शकर से
जिसको मज़हब का कोई इल्म न हो
दोस्ती कीजियेगा ऐसे बेख़बर से
उसके घरवालों ने 'शाद' कह दिया है
बेटी बियाहेंगे सिर्फ़ आफ़िसर से
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