रात थम-थम के ढल रही होगी
याद पहलू बदल रही होगी
ना-उम्मीदी सम्हल रही होगी
आग पानी पे चल रही होगी
सब्र का उसके इम्तहाँ होगा
सिर्फ़ तस्वीर जल रही होगी
दिल के दहलीज़ पे जो ठहरी है
शाम टाले न टल रही होगी
ऐ शलभ! एक बा-वकार वफ़ा
ग़म से ख़ुशियाँ बदल रही होगी
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