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ये रात, किसी का इंतज़ार और डर उसे खोने का - Shashank Tripathi

ये रात, किसी का इंतज़ार और डर उसे खोने का
मेरी खामोशियां सबब हैं तन्हा दिल के रोने का

मैं मुन्तजिर हूं फकत इक झलक का उस चेहरे के
गर थी कभी मोहब्बत उसे, दे सबूत ख़ुद के होने का

जीने की ख्वाहिश लिए हर रोज़ मरना सीख रहे हैं
और कमबख्त दिल है कि नाम ही नहीं लेता सोने को

थोड़ी कोशिशों से उसे जाने से रोकना मुमकिन था मगर
अब फायदा नहीं कोई इस ग़म में आंखें भिगोने का

हमें कहां मालूम था दिल खिलौना होता है "निहार"
वो खेलती नहीं तो और क्या करती इस खिलौने का

- Shashank Tripathi

Khamoshi Shayari

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