तुम चंचल चित चोर हो कान्हा - Shivam Rathore

तुम चंचल चित चोर हो कान्हा
मन के वन में मोर हो कान्हा

दुनिया तुम बिन रात अँधेरी
तुम ख़ुशियों की भोर हो कान्हा

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
तुम ही चारों ओर हो कान्हा

गहरी धरती ऊँचा अम्बर
तुम ही दोनों छोर हो कान्हा

प्रेम सिखाया चक्र उठाया
मौनी होकर शोर हो कान्हा

मटकी फोड़ी रास रचाया
कितने मस्तीखोर हो कान्हा

लाज बचाई वस्त्र चुराए
तुम रक्षक तुम चोर हो कान्हा

जीना मरना लेकिन बस तुम
बोलो तुम किस ओर हो कान्हा

- Shivam Rathore
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