तू ही बर्बाद करे तू ही सम्भाले दिल को
आसरा तू ही दे और तू ही निकाले दिल को
दिल को आदत नहीं इस सादगी पर मरने की
ये तिरी सादा-दिली मार न डाले दिल को
ये तिरे रुख़ पे जो तिल है ना वो सुबहान-अल्लाह
दौलत-ए-हुस्न है अच्छे से सता ले दिल को
तेरे हर ज़ख्म को मैं दिल से लगा लेता हूँ
तू भी तो काश कभी मुझ से लगा ले दिल को
दिल पे ऐ शख़्स क़यामत सी गुज़र जाएगी
इक दफ़ा अपनी निगाहों से चुरा ले दिल को
वस्ल के दिन तो गए हिज्र की शब आई है
फिर कहीं जा तू कहीं जा के छुपा ले दिल को
सुर्ख़ क़ालीन नहीं हम से बिछाई जाती
तेरी राहो मे बता कैसे बिछा ले दिल को
मेरे इज़हार पे कहती हो मज़ाक अच्छा है
इस से बहतर है कि तू सब से लगा ले दिल को
ऐ ख़ुदा अब न तमन्ना है मुझे उस दिल की
वो तो किश्तों मे खिलाती है निवाले दिल को
यूँ तो हर चीज़ सलामत है 'सुहैल' इस दिल की
ख़ैर तू जा के कहीं कर दे हवाले दिल को
Read Full