कुछ दिलों तक तो मेरी बात को जाने देना
मैं अगर शेर सुनाऊँ तो सुनाने देना
कोई तफ़रीह दिखाना न दिखाने देना
पेट भरना हो जिसे उस को कमाने देना
इस ज़माने में कहीं आपको रहना हो अगर
दर्द दिल का कभी चेहरे पे न आने देना
कोई आए कि नहीं दिल की तसल्ली के लिए
गर मैं आवाज़ लगाऊँ तो लगाने देना
देखते रहना चमक जाएगी फूटी क़िस्मत
नाम लिख लिख के मुझे उस का मिटाने देना
आख़िरी रात मुझे करना है दुनिया का हिसाब
आख़िरी रात ख़ुदा नींद न आने देना
अब मैं इस काम में माहिर हूँ तुम्हारी ही तरह
अब बहाना न कोई मुझ को बनाने देना
क्या पता आख़िरी हो अपनी मुलाक़ात यही
देख इस बार मुझे दूर न जाने देना
आँख से आँख मिला कर नहीं जाना जानाँ
मेरी साॅंसों को भी रफ़्तार में आने देना
As you were reading Shayari by Sohil Barelvi
our suggestion based on Sohil Barelvi
As you were reading undefined Shayari