नज़र-अंदाज़ करते हो कहीं ऐसा न हो जाए
तुम्हारी आँख से ओझल मिरा चेहरा न हो जाए
दरख़्तों से परिंदों के मरासिम तोड़ने वाले
अगर ये बद-दुआ दे दें तो घर सूना न हो जाए
बहुत से ज़ख़्म ले कर जी रहा हूँ ना-तवाँ दिल में
इलाज-ए-दर्द से पहले कोई रस्ता न हो जाए
सुना है आप जो भी सोचते हैं वो सदाक़त है
मिरा लिक्खा किसी दिन फिर कहीं सच्चा न हो जाए
मुझे ऐ चाहने वाले ज़रा कम मुस्कुरा पहले
कहीं तुझ को कोई जादू कोई टोना न हो जाए
दवाई से मिरा दिल कब तलक बहलेगा चारागर
कहीं इस सिलसिले में जिस्म भी पीला न हो जाए
तुझे उस शख़्स पर ख़ुद से ज़ियादा क्यूँ भरोसा है
कहीं वो शख़्स भी सोहिल बहुत झूठा न हो जाए
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