चलो क़ुबूल है हमको ये मशवरा दिल का
के दिल दुखाने से बेहतर है फ़ासला दिल का
कहीं पे ग़म है बिखेरा कहीं पे तन्हाई
जहाँ जहाँ से है गुज़रा ये काफ़िला दिल का
न आपके ही हुए और ना रहे ख़ुद के
बहुत कठिन है समझना ये फ़लसफ़ा दिल का
दिमाग अपना लगाते थे वो मोहब्बत में
हमी गलत थे जो समझा मुआमला दिल का
सभी तो भीग रहे हैं ग़मों की बारिश में
किसे बताए कोई जा के मसअला दिल का
शब-ए-फ़िराक़ है लेकिन ये जान लो जाना
है आसमाँ की बुलंदी पे हौसला दिल का
हमी ने अपना बना कर के उनको रक्खा था
अगर करें भी तो अब क्या करें गिला दिल का
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