तराशा जा रहा है मुझ पे ये मारा हुआ पत्थर
यक़ीनन बोल उट्ठेगा तेरा फेंका हुआ पत्थर
तुम्हारे घर के बाहर का नज़ारा ख़ूबसूरत है,
कहीं चलता हुआ पानी, कहीं ठहरा हुआ पत्थर
हमें भी शौक़ था घर को शिलाओं से सजाने का
मगर ये शौक़ भी छूटा कि जब ख़तरा हुआ पत्थर
तुम्हारे पाँव की ठोकर मुझे रस्ता दिखाती है,
ख़ुदा की सम्त मुड़ जाता हूँ मैं भटका हुआ पत्थर
कभी बेजान चीज़ों को ख़ुदा बनते भी देखा है
नहीं देखा तो फिर देखो मेरा पूजा हुआ पत्थर
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