रोने लगा वो देख कर इस हाल में
वो डाल कर भी ख़ुद गया था जाल में
जो शख़्स लगता था ज़माने से जुदा
वो शख़्स भी था भेड़िये की खाल में
हँस कर जला दी आपने तो बस्तियाँ
दुनिया बसी थी ज़ालिमो तिरपाल में
जिसको भुलाने में लगी थीं कोशिशें
तारीख़ वो फिर आ गई इस साल में
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