Ummeed KHwaja

Ummeed KHwaja

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Ummeed KHwaja shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ummeed KHwaja's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ज़हर में बुझती हुई बेल है दीवार के साथ
जैसे इक नाइका बैठी हो गुनहगार के साथ

मुझ से मिलना है तो ये क़ैद नहीं मुझ को पसंद
हर मुलाक़ात मुक़य्यद रहे इतवार के साथ

एक ही वार में मरने से कहीं बेहतर है
एक इक सर वो जो कटता रहे तलवार के साथ

मैं ने हर-गाम पे उन लोगों को मरते देखा
वो जो जीते रहे इस दौर में किरदार के साथ

ये जहाँ मुफ़लिस-ओ-नादार का हमदर्द हो क्यूँ
जिस के हर कोने पे तहरीर है ज़रदार के साथ

कोई शाइ'र मिरे मरने की ख़बर लाया है
एक सह-कालमी सुर्ख़ी लिए अख़बार के साथ

जश्न‌‌‌‌-ए-ख़ूँ-नाब है मक़्तल में मुग़न्नी से कहो
कोई इक राग नया गीत हो मल्हार के साथ

मैं भी इस शहर-ए-ख़मोशाँ का ही साकिन हूँ 'उमीद'
जिस की हर लौह पे तहरीर है आज़ार के साथ
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Ummeed KHwaja
थम ज़रा वक़्त-ए-अजल दीदार-ए-जाँ होने लगा
आख़िरी हिचकी पे कोई मेहरबाँ होने लगा

किस सितमगर ने उड़ा ली याद-ए-माज़ी की बयाज़
हर गली हर मोड़ पर क़िस्सा बयाँ होने लगा

जाने किस गुल ने चमन की हुर्मतें पामाल कीं
मौसम-ए-फ़स्ल-ए-बहाराँ भी ख़िज़ाँ होने लगा

दफ़्न कर के क़ब्र में जब जा चुके अहबाब दोस्त
जो कभी सोचा न था वो इम्तिहाँ होने लगा

दस्त-ओ-पा शल हो गए हैं क़ुव्वतें ज़ाइल हुईं
ज़िंदगानी का सफ़र आगे रवाँ होने लगा

ख़्वाहिशों की चाह में ख़ुसरान के सौदे किए
मंफ़अत समझा जिसे आख़िर ज़ियाँ होने लगा

कोई वा'दा आज तक ईफ़ा नहीं तुम ने किया
बात सच्ची थी मगर वो बद-गुमाँ होने लगा

पाँव की आहट ने मुझ को गोर में चौंका दिया
हिचकियों का साज़ दिल का तर्जुमाँ होने लगा

कैसी ख़ुश-फ़हमी तुम्हें किस बात का ग़र्रा 'उमीद'
आ गए हैं अक़रबा वक़्त-ए-अज़ाँ होने लगा
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