पत्थर कहा गया कभी शीशा कहा गया

  - Zafar Gorakhpuri

पत्थर कहा गया कभी शीशा कहा गया
दिल जैसी एक चीज़ को क्या क्या कहा गया

शेरों में उस के हुस्न को क्या क्या कहा गया
बादल को ज़ुल्फ़ फूल को चेहरा कहा गया

सोचो तो ये भी एक क़फ़स ही तो है जिसे
तहज़ीब की ज़ुबान में कमरा कहा गया

इक बात इख़्तियार से बाहर जो थी उसे
किस ख़ूब-सूरती से तमन्ना कहा गया

हैरत है उन की बज़्म-ए-मुहब्बत में 'ज़फ़र'
मुझ से गुनाहगार को अपना कहा गया

  - Zafar Gorakhpuri

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