कॉपी कलम किताब में उलझे हुए हैं हम
यानी के एक जवाब में उलझे हुए हैं हम
तुमसे सबक लिया है के फिर इश्क़ न करे
अब तक पुराने बाब में उलझे हुए हैं हम
जाते समय किसी ने जो पूछा था इक सवाल
अब तक उसी जवाब में उलझे हुए हैं हम
टूटे हुए दिलों का भी खोजें कोई इलाज
ऐसी किसी किताब में उलझे हुए हैं हम
हम को किसी परी से कोई वास्ता नहीं
इक बेवफ़ा के ख्वाब में उलझे हुए हैं हम
हम से वो शख़्स दिल से निकाला न जा सका
सुखे हुए गुलाब में उलझे हुए हैं हम
दिल टूटने का शिकवा तो करते ही हम मगर
नुकसान के हिसाब में उलझे हुए हैं हम
दुनिया चुनें की दीन चुनें या तुझे चुनें
ये कैसे इंतेखाब में उलझे हुए हैं हम
उस को खुदा बना के जो हम पूजते रहे
आज इसलिए अज़ाब में उलझे हुए हैं हम
हम को कोई निसाब सीखा दे अब इश्क़ का
अब तक अदब अदाब में उलझे हुए हैं हम
दो पल को रोने की भी फुर्सत नहीं नसीब
खुद के हि इंतेसाब में उलझे हुए हैं हम
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