हर रिश्ते को अनबन ज़िंदा रखती है

  - Shadab Asghar

हर रिश्ते को अनबन ज़िंदा रखती है
जैसे सबको धड़कन ज़िंदा रखती है

कुछ फ़रदों को कोठे ज़िंदा रखते हैं
और कोठे को छन छन ज़िंदा रखती है

धरती माँ तुलसी को ज़िंदा रखती है
अर तुलसी जो आँगन ज़िंदा रखती है

सादे सुलझे लोगों से अब ख़ौफ़ आता है
हम जैसों को उलझन ज़िंदा रखती है

वो कह दे तो हाथी घोड़े सब उड़ते हैं
बेटी बाप का बचपन ज़िंदा रखती है

  - Shadab Asghar

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