फेर ली नज़र सबसे अब नहीं शिकायत भी
है यहाँ सभी अपने खा गई ये आदत भी
दूर जब हुआ वो तो सोच कर हुए ख़ुश हम
वो चली गई अब सर से गई मुसीबत भी
कहती है वो सब से लड़का शबाब है लेकिन
उससे इश्क़ करने में है हज़ार दिक़्क़त भी
कोशिशें किसी की जाती नहीं यहाँ ख़ाली
बार बार की हमने सोच ये मोहब्बत भी
साथ एक लड़की को देख कह दिया उसने
अब तुम्हें भला क्या होगी मिरी ज़रूरत भी
नौ से पाँच की इस कमबख़्त दफ़्तरी मे अब
मर गई कहीं खाली बैठने कि चाहत भी
प्यार उनकी जानिब से मुफ़्त में कभी आए
फिर कभी कभी आए बे-हिसाब नफ़रत भी
फिल्म अब भले ही लंबी नहीं चली हो पर
थी अमर-कहानी होनी थी ख़ूबसूरत भी
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