जान पर बन आई है तन्हाई है
इश्क़ की रुसवाई है तन्हाई है
कम नसीबी उसकी है के शादी में
बज रही शहनाई है तन्हाई है
भीड़ को ढूँडोगे आख़िर किस तरह
हर तरफ तन्हाई है तन्हाई है
जुर्म-ए-उल्फ़त की अदालत में अभी
आख़िरी सुनवाई है तन्हाई है
दिल लुटा दुनिया लुटी सबकुछ लुटा
इसकी क्या भरपाई है तन्हाई है
खेल क़िस्मत का ज़रा ये देखिए
दिल मेरा सौदाई है तन्हाई है
इश्क़ ख़तरे में है और महफूज़ हुस्न
बस यही सच्चाई है तन्हाई है
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