हुजूम-ए-रहगुज़र सी है सुख़न में और बचा क्या है
अयाँ में हर तरफ़ फैला ख़याला भी सुख़न सा है
यहाँ बिकता है सब नीले गुलाबी पीले नोटों से
बिना लालच के इज़्ज़त है ये लोगों का दिखावा है
हया करता हूँ औरत की यही कमज़ोरी है मेरी
इसी का ये ज़माना फ़ाएदा पूरा उठाता है
मुझे अब नींद भी आती है गर तो गोलियाँ खा कर
तभी फिर ख़्वाब में नागिन का चेहरा दिखने लगता है
नहीं करना नहीं करना नहीं करना मुहब्बत अब
मुहब्बत भी है वहशत ही जहाँ निगरानी करता है
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