देखकर फूलों की और भँवरों की हालत तितलियाँ
सब की सब करने लगीं गुलशन से हिजरत तितलियाँ
बाग़बाँ होती हैं यूँ गुलशन की ज़ीनत तितलियाँ
फूलों पे लगती हैं बैठी ख़ूबसूरत तितलियाँ
इक हसीं मंज़र था ख़ुश थे सारे भँवरे बाग़बाँ
आईं जब फूलों की करने को अयादत तितलियाँ
नोच डाला है किसी ज़ालिम ने इक गुल का बदन
कर रही हैं बाग़बाँ से सब शिकायत तितलियाँ
ख़ार बनकर आँखों में सय्याद के चुभने लगीं
जब बढ़ाने लग गईं फूलों से क़ुर्बत तितलियाँ
फूल कलियाँ करते हैं सुनकर तबस्सुम ज़ोर से
करती हैं गुलशन में जब भँवरे की मिदहत तितलियाँ
आन कर फूलों को तुम सब प्यार से चूमा करो
रोज़ करती हैं ये भँवरों को नसीहत तितलियाँ
फूल करते हैं मोहब्बत तितलियों से बाग़बाँ
और यहाँ फूलों से करती हैं मोहब्बत तितलियाँ
क़ैद में सय्याद की सब अपने ज़ख़्मी तन के साथ
दिल में लेके बैठी हैं उड़ने की हसरत तितलियाँ
बाग़बाँ कहने लगा सय्याद से मत ले के जा
सह नहीं पाएँगी ये गुलशन से फ़ुर्क़त तितलियाँ
रफ़्ता-रफ़्ता सब शजर कुम्हला गए गुल गिर गए
रफ़्ता-रफ़्ता हो गईं गुलशन से रुख़्सत तितलियाँ
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