सभी के ज़ेहन में हर पल ख़्याल तेरा है
है जिसका ज़िक्र वो हुस्न-ओ-जमाल तेरा है
ये सच है यार हमारा यहाँ पे कुछ भी नहीं
ये दिन ये हफ़्ते महीने ये साल तेरा है
तिरे सवाल का आख़िर जवाब कैसे दूँ
जवाब जिसका नहीं वो सवाल तेरा है
तसव्वुरात में गुमसुम मिरे तू रहता है
है हाल जैसा मिरा वैसा हाल तेरा है
ये अर्श-ओ-फ़र्श लरज़ता है जिसकी हैबत से
जरी जहाँ में वो वाहिद जलाल तेरा है
कि जिसको सुनके नमू आफ़ताब होता है
वो शीरींदार सा लहजा बिलाल तेरा है
मिरी ये इज़्ज़त-ओ-शोहरत वक़ार ये रूतबा
करम ये मुझ पे मिरे ज़ुल-जलाल तेरा है
हज़ारों साल से है मुंतज़िर तिरा ख़ादिम
बता दे दूर तू कितना विसाल तेरा है
शजर में उससे हमेशा ये बात कहता हूँ
ग़ज़ल फक़त नहीं तेरी ग़ज़ाल तेरा है
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