जिसको सोच रहा हूँ मैं, मेरा है सब कुछ
वो ही सताता है मुझको, कहता है सब कुछ
कोई सबकुछ होके भी लगता कुछ नईं है
कोई कुछ भी नहीं हो पर लगता है सबकुछ
इस टूटे फूटे जंगल में हिरण सोने का
शायद कोई छलावा है धोखा है सब कुछ
वो अम्बर की त'रफ करके यूं इशारे बोली
देख रहे हो इसे इक दिन अपना है सबकुच
चाहे झगड़ों मारो सब कुछ ही है ठीक
दिल मेरा ये मान गया है खुदा है सबकुछ
ऐसा क्या ही सबकुछ मांग रहा हूं मैं ख़ुद से
ऐसा है क्या जिसपे ख़ुद का खोना है सबकुछ
मेरी आंखों में तूने दुनिया देखी बस
तेरी आंखों में मुझको दिखता है सबकुछ
ज़हर की शीशी रस्सी चाकू मैं सब ले आया
इक दिन मोका मिले बस कर देना है सबकुछ
पूछ रहा था मां मेरा क्या होगा, मां बोली
ख़ुश रह इतना भी क्या सोच रहा है सबकुछ
कोई असर नईं मुझको सिगरेट कितनी भी पीऊं
ऐसा खुद को समझा दिया है दवा है सबकुछ
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