हँसाती और रुलाती हैं उदासी और तन्हाई
मुझे अब रास आती हैं उदासी और तन्हाई
मैं तो दम घोट दूँ सीने पे रखकर ईंट साए का
मगर आँखें दिखाती हैं उदासी और तन्हाई
कभी गर चश्म-ए-दिल को देखनी हो ये नशात-ए-दहर
तो काँधे पर उठाती हैं उदासी और तन्हाई
ये जाम-ए-अश्क पीकर रंज-ओ-ग़म को फूँक कर गोया
धुएँ से दिल बनाती हैं उदासी और तन्हाई
मुसलसल खींच कर यूँ महफ़िल-ए-ग़म पर कमान-ए-लब
मुझे जबरन हँसाती हैं उदासी और तन्हाई
उड़ाती और मिलाती रंग-ए-दिल पे रंग-ए-तारीकी
यहाँ होली मनाती हैं उदासी और तन्हाई
मोहब्बत और नाकामी का रिश्ता ऐसा है इन से
बहन कहकर बुलाती हैं उदासी और तन्हाई
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