सारे पेड़ जला दो जिनसे हवा लगे अफसानों को
इक दीवार बनाओ उसमें चुन दो सब दीवानों को
अगर फरिश्ते भी आ जाए उनके संग न जाए वो
जिसको लाने राजा तू ने भेजा है दरबानों को
प्यार ने मुझको दर्द दिया है वहशत दी और फुरक़त दी
तिरे पीर ने मेरे ऊपर छोड़ दिया शैतानों को
इतनी छोटी सी हरकत पर कितना वो शरमाई है
बाली पहनाते पहनाते चूम लिया था कानों को
फिर देखूँ मेरे आगे किस की सेना टिक पाती है
अभी पेड़ से अगर उतारूँ अपने तीर कमानों को
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