तुम्हारी बे-वफ़ाई ने हमें तो मार डाला है
हमें मालूम थोड़ी था कि हमने साँप पाला है
लरज़ते लब टपकती आँख ज़ाहिर हो रहा सब कुछ
तुम्हें सब माफ़ है इस दर्द का इतना इज़ाला है
मोहब्बत जन्म लेती है बिना मज़हब को देखे ही
ख़ुदा भी आज़माता है करम उसका निराला है
ग़ज़ब तस्वीर है इसमें किसी ने जान डाली है
अजब सा नूर है इसमें जहाँ में बोलबाला है
अरब से आ रहे दरवेश ये बातें बताते हैं
मदीने में उजाला है मदीने में उजाला है
चलो उस ओर चलते हैं जिधर दरवेश रहते हैं
वहीं आक़ा हमारे हैं वहीं मेराज़ वाला है
चलो उस शहर में रहने वहाँ रहमत बरसती है
वहीं पर भीख माँगेंगे वहीं पर देने वाला है
Read Full