प्रेम के हम गीत गाकर क्या करेंगे
नेह के मनमीत पाकर क्या करेंगे
हम नहीं हो पाय हैं अब तक ख़ुदी के
आपको अपना बना कर क्या करेंगे
जानते हो उलझने हैं ज़िन्दगी में
आपको उनमें फँसाकर क्या करेंगे।
रात भर हैं जागते सपने सँजोते,
आपकी नींदे उड़ाकर क्या करेंगे
आप जो हैं देख कर मुँह फेर लेते
आपके सपने सजा कर क्या करेंगे
आज राहों में बिछे हैं फूल माना
पाँव के छाले भुला कर क्या करेंगे
कारनामे जानती है ज़िन्दगी ये
ज़िन्दगी से मुँह छुपा कर क्या करेंगे
अब नहीं होते रुआँसे गाँव तजकर,
गाँव में इक घर बनाकर क्या करेंगे
ज़िन्दगी भर की कमाई शायरी है,
शायरी से जी चुरा कर क्या करेंगे।
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