ये चिंगारी मोहब्बत की सुलग कर आग बन जाए
कि ख़ुद तलवार क्या जाने किसी पर कब वो तन जाए
हुई बातें तसव्वुर में बता दो रात तक मुझको
नहीं तो ये मुसाफ़िर सुब्ह तक अपने वतन जाए
तुम्हारी ज़ुल्फ़ खुलती है मिरा दिल भी बहलता है
अगर ये ज़ुल्फ़ बाँधी है किसी और अंजुमन जाए
बड़े दुश्मन बना करते हैं जब तुम साथ होती हो
गली गर ये तिरी हो कोई कैसे बे-शिकन जाए
वो कहता है मोहब्बत ने सँवारी ज़िन्दगी उसकी
कि सर उसका जो फूटा हो मिरे दिल से जलन जाए
मोहब्बत मिल भी जाए तो सभी कुछ छीन लेती है
हुआ है प्यार जिसको भी उसी का बाँकपन जाए
मैं डरता हूँ मोहब्बत से मुझे अंजाम की चिंता
मोहब्बत छोड़ कर राधा की अपने घर किशन जाए
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