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ख़ून आँसू बन गया आँखों में भर जाने के बाद - Azm Shakri

ख़ून आँसू बन गया आँखों में भर जाने के बाद
आप आए तो मगर तूफ़ाँ गुज़र जाने के बाद

चाँद का दुख बाँटने निकले हैं अब अहल-ए-वफ़ा
रौशनी का सारा शीराज़ा बिखर जाने के बाद

होश क्या आया मुसलसल जल रहा हूँ हिज्र में
इक सुनहरी रात का नश्शा उतर जाने के बाद

ज़ख़्म जो तुम ने दिया वो इस लिए रक्खा हरा
ज़िंदगी में क्या बचेगा ज़ख़्म भर जाने के बाद

शाम होते ही चराग़ों से तुम्हारी गुफ़्तुगू
हम बहुत मसरूफ़ हो जाते हैं घर जाने के बाद

ज़िंदगी के नाम पर हम उमर भर जीते रहे
ज़िंदगी को हम ने पाया भी तो मर जाने के बाद

- Azm Shakri

Dard Shayari

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