मुझको तो कहते हो सो जाने को

  - Chandrajeet Regar

मुझको तो कहते हो सो जाने को
नींद को भी समझाओ तुम आने को

इन हाथों में बस तुम कंगन पहनो
काफी है फ़ोन वक्त बतलाने को

जिंदा रहना कमाल होता है दोस्त
हादसे तो बोलेंगे मर जाने को

इक़ वीराना ढूँढ़ के दे दो उसको
बाद इसके क्या चाहिए दीवाने को

ऐसे कैसे जी भर गया तुम्हारा
और नहीं है क्या कुछ तड़पाने को ?

जा रहे हो! ये सोच समझ कर जाना
कोई रस्ता नईं, वापस आने को

उससे पूछो तुम दुनिया के मआनी
हाँ वही जो जाता है मयखाने को

इक्कीस साल तक संजोया ख़ुद को
तेरे हाथों से आख़िर लुट जाने को

कितनी आसानी से सो जाते थे
माँ कहती थी जब भी सो जाने को

  - Chandrajeet Regar

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