मुझको तो हर दफ़ा वो मिरा लगता था
अब ख़ुदा जाने मैं उसको क्या लगता था
मेरा दिल कहता था वो वफ़ादार है
पर मिरे मन को वो बेवफ़ा लगता था
अब तो उससे कोई वास्ता भी नहीं
कल तलक जो मुझे हमनवा लगता था
साँप बनकर मिरे जिस्म से लिपटा था
वो जो दिल को मिरे राँझना लगता था
कहता था इश्क़ में जीत कर आया हूँ
वो मगर आँखों से दिलजला लगता था
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