कोई मंज़र नहीं टिकता मेरी वीरान आँखों में
मुझे लगता नहीं बाक़ी हैं अब भी जान आँखों में
ज़रा देखो इधर तुम ग़ौर से एहसास होगा ये
समंदर डाल कर रखना नहीं आसान आँखों में
मैं जब भी देखता हूँ साथ में तस्वीर पापा की
तो बेहद शोर होता है तभी सुनसान आँखों में
सितारा छीन कर मुझसे ख़ुदा भी खुश हुआ होगा
ख़ुदा तू बोल आया था कोई शैतान आँखों में
मेरे वालिद की मय्यत देखकर दिल ने कहा मुझसे
खड़ा क्या है लुटा दे जान इन बे-जान आँखों में
चले जाना मुझे मंज़ूर तो होगा नहीं लेकिन
चलो जाओ बढ़ाओ तुम ख़ुदा की शान आँखों में
मैं जब वालिद से मिलता हूँ कभी जो क़ब्र पर उनकी
तो मेरे साथ में रोता है क़ब्रिस्तान आँखों में
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