ज़िंदा है वो जहाँ में जो है आश्ना-परस्त
है कतरा कतरा मेरी रगों में नवा-परस्त
है दिलरुबा सुकून-रुबा और जाँ-रुबा
ये इश्क़ सिर से पाँव तलक है रुबा-परस्त
कहता है बात बात में 'माही' हूँ मैं ही मैं
क्यूँकर बता रहे हो तुम उसको ख़ुदा-परस्त
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