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नादान तमन्नाओं की ख़्वाहिश में मरेंगे - kumar anupam

नादान तमन्नाओं की ख़्वाहिश में मरेंगे
जज़्बात के ये पंछी भी लग़्ज़िश में मरेंगे

बेहतर है ज़माने से छुपाए हुए रखना
हम लोग मुहब्बत की नुमाइश में मरेंगे

ख़ामोश रहें तब भी हलाक़त की हैं ज़द में
बोले जो सितमग़र की सताइश में, मरेंगे

दुश्मन के तो ख़ेमे से निकल आये हैं ज़िंदा
है दोस्त ये तय तेरी नवाज़िश में मरेंगे

मरने की दुआ की तो हमें मौत न आयी
लगता है कि जीने की ही कोशिश में मरेंगे

इस दौर ए जिहालत में सभी अच्छे सुख़नवर
इक रोज़ हुनर तेरी सिफ़ारिश में मरेंगे

- kumar anupam

Jazbaat Shayari

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