बैरी चाँद ने चाँद कहा ऐ जान तुझे
जाने पागल क्या बैठा है मान तुझे
मैंने पूछा क्या देखा क्या पाया है
तो बोला अपने दिल का अरमान तुझे
सारे फूलों ने मिलजुल कर सोचा है
थोड़ी ख़ुश्बू मिल जाए कर ध्यान तुझे
गाल तिरे रौशन करते हैं सब रातें
सूरज अब तो कहता है बेईमान तुझे
तेरी ज़ुल्फ़ों के साए में लगता है
बादल मान चुके हैं अपनी शान तुझे
तेरी आँखें चमक निराली रखती हैं
सब तारे ही कहते हैं आसमान तुझे
होंठ तिरे गुलकंद की माफ़िक मीठे हैं
सब पत्तों ने मान लिया है पान तुझे
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