आज हम दोनों गले से ऐसे लग जावे हैं जानाँ

  - Abuzar kamaal

आज हम दोनों गले से ऐसे लग जावे हैं जानाँ
जैसे दो साँप एक दूजे से लिपट जाते हैं जानाँ

दिल चुराने वालो से मुझको फक़त ये जानना है
क्या लबों के रास्ते दिल में उतर जाते हैं जानाँ ?

लड़कियां भी चाहतीं है उनकों भी कोई बताए
बाल, आँखे, होंठ, चलते-फिरते मयखाने हैं जानाँ

इतनी शिद्दत से बनाता है हँसीनाए ख़ुदा भी
आदमी जिन्नात हर शय इनके दीवाने हैं जानाँ

कहते हैं हुस्न-ए-शमा-ओ-गुल मेरे नज़दीक आके
जल भी जाऐंगे "अबूज़र" आप परवाने है जानाँ

  - Abuzar kamaal

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