राह में ऐसी कोई मुश्किल मिले
जिससे आसानी से मेरा दिल मिले
जज़्बा-ए-बे-ताबी-ए-मंज़िल मिले
कोई तो दुनियाँ में मुझसा दिल मिले
कोई तो मुझको मेरे क़ाबिल मिले
जितने भी हमको मिले बुज़दिल मिले
ऐ ख़ुदाया इश्क़ में ना दिल मिले
मुझको मेरा इश्क़ ला-हासिल मिले
क़त्ल-ओ-ग़ारत हर जगह बरपा हुआ
ढूंढ़ लो गर जो तुम्हें क़ातिल मिले
तारे क़िस्मत के मिले बुझते हुए
बद-नसीबी के सभी झिल-मिल मिले
गर समझना चाहता है तो समझ
रह भटकने से ही तो मंज़िल मिले
चाहता है हर कोई तन्हां सा दिल
हर दुखा दिल चाहता ख़ुश-दिल मिले
उसकी थी सबसे बड़ी ये बद-दुआ
तुझसे पत्थर दिल को पत्थर दिल मिले
है रज़ा दोनो तरफ़ से इश्क़ की
लड़कों के फिर हाथ में क्यों बिल मिले
जिस जगह तुम बोल सकते हो कमाल
काश ऐसी भी कोई महफ़िल मिले
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