कहीं ख़ुद को नहीं बाँटा अभी तक
तेरा ही है तेरा हिस्सा अभी तक
तेरे बिन ख़ाक गुज़रेगी मेरी उम्र
तेरे बिन दिन नहीं गुज़रा अभी तक
तेरे होते हुए भी दुनिया देखी
इन आँखों ने भी क्या देखा अभी तक
अभी भी बस ये धोके खा रहा है
ये अपना दिल नहीं सुधरा अभी तक
मैं सच नंगा हूँ अब भी पर तू ये देख
नहीं झूठा लिबास ओढ़ा अभी तक
रक़ीब इस वास्ते भी सुनता है राय
जहाँ वो है वहाँ मैं था अभी तक
उसे मुझ से ज़ियादा ग़म है उस ने
एक आँसू भी नहीं ख़र्चा अभी तक
लगी थी प्यास तो पानी लगा साफ़
अगरचे था तो ये गदला अभी तक
जलाती धूप का दिन और बचा है
मेरे ही साथ है साया अभी तक
न कोस इन रास्तों को मान रजनीश
तुझे चलना नहीं आया अभी तक
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