अपनी जागीर मांग बैठे हैं
ख़्वाब ताबीर मांग बैठे हैं
जिसका मिलना नहीं मुक़द्दर में
हम वो तक़दीर मांग बैठे हैं
आधी सिगरेट भी हम नहीं देते
आप कश्मीर मांग बैठे हैं
मेरे अशआर पढ़ने वाले लोग
तेरी तस्वीर मांग बैठे हैं
आप ने साथ ही नहीं मांगा
आप ज़ंजीर मांग बैठे हैं
मुझको शादाब आजकल सब ग़म
सूरत ए पीर मांग बैठे हैं
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Shadab Javed
our suggestion based on Shadab Javed
As you were reading Attitude Shayari