सच कहूँ तुमसे मोहब्बत हो रही है
क्या ख़ुदा की ये इनायत हो रही है
तुम मिरी ये बात मानो या न मानो
अब तुम्हारी मुझको आदत हो रही है
मैं हुआ बर्बाद इक उनकी दुआ से
इस लिए घर उनके दावत हो रही है
लौट आए देख कर ये माज़रा हम
वाँ मोहब्बत की तिजारत हो रही है
कह दिया बस इतना मैंने वो मिरी है
तब से महफ़िल में वकालत हो रही है
ऐसा तुमने क्या किया है कुछ तो बोलो
क्यूँ तुम्हारी ये शिकायत हो रही है
आज कल में उसकी हो जाएगी शादी
अब तो वो लड़की से औरत हो रही है
सल्तनत उसकी है तो उसके हुए सब
सल्तनत में क्यूँ बग़ावत हो रही है
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