मेरे दिल में मलाल उसका था
उन दिनों मेरा हाल ऐसा था
उसने कुछ भी नहीं दिया अपना
मैंने थोड़ा सा वक़्त माँगा था
एक इक करके सब भुलाना था
जान-ए-जाँ क्योंकि मैं तो लड़का था
डूब कर उसने देखा नइँ वरना
मेरी आँखों में एक दरिया था
निकली है उम्र इक तसव्वुर में
वो गया है जहाँ वहाँ क्या था
जिसका मैं कुछ नहीं था यकसर भी
एक वो शख़्स मेरी दुनिया था
फिर मुझे छोड़ना पड़ा उसको
एक ही मेरे पास रस्ता था
तुम मेरी उम्र भर रहो बन के
जान-ए-जाँ एक ही तो सपना था
ज़ीस्त में कोई ऐसा आया था
जिसको खोने से मैं तो डरता था
उसको बरबाद करना था शायद
इस लिए ज़िंदगी में आया था
शहर-ए-दिल्ली की एक लड़की थी
जिस पे मैं तो बहुत ही मरता था
मेरे बस में नहीं था कुछ भी याँ
वो अगरचे मिरा हो सकता था
उसने इक बार भी नहीं देखा
मैंने मुड़ मुड़ के उसको देखा था
क्यूँ नहीं उसने हाल पहचाना
उन दिनों मैं बहुत ही रुसवा था
इक मोहब्बत में जान देनी थी
घाटे का मेरा इक ही सौदा था
कुछ सुनाओ वसीम हाल-ए-दिल
ये सुना दिल तुम्हारा रोता था
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